नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा जारी रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कार्यों में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। इस रिपोर्ट में 2015-16 से 2021-22 तक की अवधि का ऑडिट किया गया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी की कार्यशैली में व्यवस्थागत दोष और लापरवाही के कारण सरकार के लाखों रुपये बर्बाद करने की बात सामने आई है।
कैग रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी ने कोई बिजनेस प्लान या दीर्घकालीन योजना तैयार नहीं की थी। डीटीसी का बेड़ा 4,344 से घटकर 3,937 रह गया, जबकि माननीय दिल्ली हाई-कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, धन की उपलब्धता के बावजूद 11 हजार बसें होनी चाहिए थीं। डीटीसी इलेक्ट्रिक बसों की सप्लाई में देरी के लिए 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने में नाकाम रही। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 31 मार्च 2023 तक लो-फ्लोर ओवर-एज बसों की संख्या बढ़कर 44.96 प्रतिशत हो गई थी। डीटीसी को वर्ष 2015 से 2022 की अवधि के दौरान 14,198 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
रिपोर्ट की मानें तो रूट प्लानिंग में कमी पाई गई और डीटीसी की बसें केवल 57 प्रतिशत रूटों पर ही चल रही थीं, जिसके कारण डीटीसी किसी भी रूट पर अपनी परिचालन लागत वसूल नहीं कर सका। मार्च 2021 में लगाए गए सीसीटीवी सिस्टम को मई 2023 तक भी 'गो लाइव' घोषित नहीं किया गया। इसके अलावा, एक जैसी परिस्थितियों में बसें चलाने के बावजूद क्लस्टर बसों का प्रदर्शन डीटीसी बसों की तुलना में काफी बेहतर रहा। निगम पर परिवहन विभाग से वसूलने योग्य 225.31 करोड़ रुपये बकाया थे।
कैग की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि विज्ञापन का कॉन्ट्रैक्ट देने और कमर्शियल कार्यों के लिए उपलब्ध स्थान आवंटित करने में देरी के कारण राजस्व का नुकसान हुआ। इन कमियों के बावजूद डीटीसी के पास अपनी वसूली के लिए कोई रोडमैप नहीं था।
कैग की रिपोर्ट ने यह साफ संकेत दिए हैं कि सरकारी उपक्रमों में कुप्रबंधन और लापरवाही के कारण दिल्लीवासियों के टैक्स के करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। अब यह रिपोर्ट सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति को भेजी जा रही है। समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, परिवहन विभाग और डीटीसी को अब एक महीने के भीतर अपने एक्शन टेकन नोट (एटीएन) विधानसभा सचिवालय को भेजने होंगे, ताकि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सके और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं से बचा जा सके।
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